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30 Days Festival Competition लेखनी कहानी -17-Oct-2022 गुरु पूर्णिमा(भाग 30)

            शीर्षक :- गुरु पूर्णिमा

                हम सभी के जीवन में गुरु का एक विशेष महत्व होता है। हमारे धर्म ग्रंथो में गुरु को भगवान् से बढ़कर बताया गया है. माता पिता अपने बच्चो को संस्कार देते है  परन्तु गुरु सभी को अपने बच्चो के समान मानकर  समान रूप से ज्ञान देते है।


              हमें ज्ञान बहुत जरूरत होती है।   एक व्यक्ति का जीवन गुरु के अभाव में शून्य होता है।  संस्कार और शिक्षा जीवन का मूल स्वभाव होता है. इनसे वंचित रहने वाला व्यक्ति बुद्दू होता है. जिसमें गुरु के ज्ञान का अभाव होता  है।


          आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है। यह हिन्दुओ के श्रेष्ठ रचयिता वेदव्यास जी जिन्होंने महाभारत की रचना की थी, उनके जन्मदिन के अवसर पर गुरु पूर्णिमा हर साल मनाई जाती है।


           एक विद्यार्थी के जीवन में गुरु अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।  गुरु के ज्ञान और संस्कार के आधार पर ही उसका शिष्य ज्ञानी बनता है, गुरु मंदबुद्धि शिष्य को भी एक योग्य व्यक्ति बना देते है. गुरु के ज्ञान का कोई तोल नहीं होता है ।  इस दिन आज भी लोग अपने गुरु बनाते है। तथा जीवन में कल्याण के रास्ते को अपनाते है. गुरु को उस दिन अपने कार्यो पर गर्व होता है। जिस दिन उसका शिष्य एक बड़े ओदे पर पहुँचता है. गुरु अपने शिष्यों से कोई स्वार्थ नहीं रखते है, उनका उद्देश्य सभी का कल्याण ही होता है। 

            गुरु पूर्णिमा के दिन विद्यार्थी अपने गुरु के सम्मान में अनेक गतिविधिया करते है।  शिष्यों द्वारा गुरु की पूजा की जाती है।  तथा उन्हें ढेर सारा सम्मान और उज्ज्वल जीवन देने के लिए धन्यवाद देते है।

              इस दिन शिष्यों द्वारा अपने पहले गुरु अर्थात माता-पिता और परिवार को भी सम्मान दिया जाता है।  तथा उन्हें अपना आदर्श मानकर उज्ज्वल जीवन का आशीर्वाद मंगाते है।  तथा लाइफ के सच्चे मूल्य का ज्ञान लेते है। इस दिन विद्यालय कॉलेज और गुरुकुलो में शिक्षको और अपने गुरुओ को सम्मान के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।  तथा गुरुओ के सम्मान में गीत, भाषण, कविताए, नृत्य और नाटक किये जाते है।  हर व्यक्ति के जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है. एक गुरु व्यक्ति को सडक से धनवान बना सकता है।  गुरु हारे हुए व्यक्ति को मंजिल तक पहुंचा सकता है. गुरु का जीवन निस्वार्थी होता है।  गुरु अपना उद्देश्य केवल ज्ञान और संस्कार देने ही मानते है।

              गुरु को ब्रह्मा तथा विष्णु और महेश के समक्ष माना गया है. गुरु को सम्मान देने के लिए गुरु पूर्णिमा एक विशेष दिवस है।  हमेशा हमें गुरुओ का सम्मान करना चाहिए. पर इस दिवस का उद्देश्य गुरुओ के महत्व से सभी को अवगत कराना है। 


             गुरुओ को सम्मान देना हमारी आदर्शता मानी जाती है, तथा व्यक्ति को गुरु को सम्मान देना उसका पहला कर्तव्य मन जाता रहा है। गुरुओ में शिष्यों का सम्बन्ध काफी पुराना है।

           गुरु की महता को महत्व देते हुए प्राचीन धर्मग्रन्थो में भी गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान बताया है. एक व्यक्ति गुरु का ऋण सभी नहीं चूका पाता है. हमेशा निस्वार्थ भाव से सिखाने का कार्य गुरु द्वारा ही किया जाता है।

          गुरु अधंकार से भरे जीवन में उजाला लाने का काम करते है. हर संस्कारी और शिक्षित व्यक्ति की सफलता के पीछे गुरु का हाथ होता है. गुरु हमेशा जीवन में उन्नति के पथ पर चलाना सिखाता है।

          हर परस्थिति में संघर्ष करने का जज्बा गुरु से ही मिलता है. शिक्षा और संस्कार जो जीवन में बहुत आवश्यकत होती है. इसके बिना आज जीवन का कोई महत्व नहीं है. जो अनमोल उपहार हमें गुरु ही देते है।

                           आजकल  लोग गुरुओ को उनके धर्म या जाति के आधार पर विभाजित करते है, पर ये केवल उनकी गलत मानसिकता है. कोई व्यक्ति धर्म विरोधी या समर्थक हो सकता है, पर एक गुरु हमेशा धर्मनिरपेक्ष रहकर सभी को ज्ञान की कुंजी प्रदान करता है।

              गुरु के बारे में पौराणिक ग्रंथो में लिखी गई इस पंक्ति को आपने पढ़ा ही होगा, ‘’गुरूर्ब्रम्हा गुरूर्बिष्णु् गुरूर्देवो महेश्वरः ।गुरर्साक्षात परम ब्रम्ह् तस्मैः श्री गुरूवै नम: । इसमे गुरु की महानता बताते हुए. गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश अर्थात साक्षात् भगवान् का दर्जा दिया गया है।

30Days Festival कम्पटीशन

नरेश शर्मा "पचौरी"

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5 Comments

Supriya Pathak

09-Dec-2022 09:24 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Behtarin rachana

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Raziya bano

06-Dec-2022 06:01 PM

Bahut bahut sundar rachna

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